मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से बुधवार 14 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' को समर्पित काव्य-गोष्ठी का आयोजन लाइन पार स्थित विश्नोई धर्मशाला में किया गया।
अशोक विद्रोही द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि डॉ. रमेश यादव कृष्ण एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में रघुराज सिंह निश्चल मंचासीन हुए। कार्यक्रम का संचालन रामसिंह निशंक द्वारा किया गया।
वरिष्ठ कवि ओंकार सिंह ओंकार ने दुश्मन को इस प्रकार चेताया -
अब भी यदि सुधरा नहीं, सुन ले पाकिस्तान।
नहीं बचेगा शेष फिर, तेरा नाम निशान।।
डॉ. राकेश चक्र ने शत्रु को ललकारा -
झूठा पाकिस्तान है, बेचे रोज जमीर।
मातम में शहबाज है, गिरगिट बना मुनीर।।
अशोक विद्रोही का कहना था -
माथे का "सिंदूर" बना अभियान दिवाने निकल पड़े।
माँ बहनों की लाज बचाने वीर जियाले निकल पड़े।
डॉ. मनोज रस्तोगी के उद्गार इस प्रकार रहे उड़ रही गंध ताजे खून की,
बरसा रहा जहर मानसून भी,
घुटता है दम अब
बारूदी झौंकों के बीच।
नकुल त्यागी के अनुसार -
आतंकवाद को खत्म करेंगे
हमने मन में ठाना है!
युद्ध में भारत की ताकत को
दुनिया ने पहचाना है!
मनोज मनु के भाव इस प्रकार रहे -
हम गौतम, नानक के वंशज,
अपने को कमतर आँका है,
लेकिन अब हद पार हो गई,
यह तो इज़्ज़त पे डाका है।
राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा -
ओ कलुष नापाक़ तू तो, माॅं धरा पर भार है।
हिन्द की इन बेटियों ने, फिर भरी हुंकार है।
भर गया घट पाप का, अब अंत तेरा सामने।
मिट गया सिन्दूर जो, वह बन चुका अंगार है।
कार्यक्रम में महेंद्र पाल, रमेश गुप्त, आर. के. आर्य, रामगोपाल आदि साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे। रामसिंह निशंक द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।